Monday, May 21, 2012

बियाह करेला है त पाहिले सुलभ वाला से सम्पर्क करिए।

बियाह करेला है त पाहिले सुलभ वाला से सम्पर्क करिए।

नमस्ते   कैसे हैं आप लोग . हम फिर से आ गये हैं बकर बकर करने . बात ई है की  एगो  य्न्य बात सामने दिखाई दे रहा है बियाह में .पहिले त खाली  के बेच के लड़की ले आने तक की बात था पर अबाब नया समस्या लड्कवालों के माथे पर गया है। आज कल की पुतोह पाहिले नियन बुरबक ता है नहीं सब कम से कम ग्रेजुइट टी होइबे करती है .. ओ से कम भी हो तो समझदारी ता रहता ही है . इसने कुछ समझदार पुतोह हमारा नज़र में आई है . उत्तर प्रदेश के महाराजगंज की प्रियंका घर में शौचालाय्नाही होने से अपना घरे चली गयी लाख समझाने पर भी जब तक शौचालय नहीं बना ससुराल नहीं आई। बहुत  काम किया  . उसे स्वक्छ्ता पुरूस्कार भी मिला . पढ़ सुन कर मन गद गद हो गया . एकरा बाद ई सिलसिला रुका नहीं प्रियंका के देखा देखि वही पडोश की संतकबीर  जिले कि ज्योती भी ईहे काम की . पार ई सब बढ़िया काम से लड़का वाला सब पग्लैल है। पाहिले ता कहना घर दुआर रख कर पुतोह को सदा देता था पर ई सब जब से शुरू हुआ हा ऊकार दिमाग ठनकल है . अब ता ई लग रहा है की लिका के बियाह करेला है ता पाहिले सुलभ वाला से संपर्क करना होगा , नहीं तो पोतोह ता भागिए जाएगी रहल सहल ईजात भी नहीं रहेगा . इही से हमर बात लिका वाला लोगन मानिये और बियाह करेला है तो पाहिले सुलभ वाला सेसम्पर्क करिए।

Friday, April 3, 2009

करो नौकरी सरकारी नहीं तो बेचो तरकारी

नमस्ते। तो भइया आज एगो नया आम बात हमारे दिमाग में आया है जिसको हम यहाँ कहने जा रहे हैं। बार दरअसल ई है की आज मंदी रूपी बकासुर सबको लीलने पर तुला हुआ है। अभी ऐसा कोई भीमसेन नही दिखा है जो इसको मार सके। तो बात ई है की आज इस महा मंदी में वही पुराना कहावत सही हो रहा है की करो नौकरी सरकारी नही तो बेचो तरकारी। क्योकि इस मंदी के सेसन में यही दुगो काम लाभकारी है. प्राइवेट वाला पाहिले जितना उरता हो, जितना शान बघारता हो पर आज सब मरल बिलाई हो गया है. सब का दिन दुर्दिन में बदला हुआ है. आज चांदी है तो दुइए लोग का ऊ सरकारी रोटी तोड़ रहे हैं भले ही दुटाकीया ही नौकरी ही सही पर आराम से हैं. कोनो चिंता फिकिर नहीं न मंदी का और न मंदी के नाम पर बकरा बनाने का. बहुत चैन है भैया उनको.एगो और बिरादरी है जो चैन की बंशी बजा रहा है ऊ है तरकारी यानी सब्जी बेचने वाला ग्रुप. कोई तेंसें नहीं दिन दुनी रात चौगनी तरक्की. भले ही सारी दुनिया में मंदी का महामारी हो पर इनके यहाँ तो प्रोफिट ही प्रोफिट है मंदी होगी दोसरे के लिए इनका तो चांदी है अभी. महगाई का सर्वाधिक लाभांश यही ले रहे है.प्राइवेट वालो का हालत तो भैया बहुत खराब है एकदम सड़ा हुआ स्थिति में वो पहुच गए है सबसे दयनिए हाल तो ऊना का है जिनका शादी नहीं हुआ है. उनका तो हाल ऐसा है की न आगे नाथ न पीछे पगहा. जो भी अगुआ (रिश्ता) आ रहा था उनके पैकज से हवा पर ऊहो अब आना बंद हो गया है. जो आइयो रहा है ऊ पहले ई जान ले रहा है की कंडीसन क्या है. कितना दिन से मेहमान है साहबजादे कही ऐसा न हो की एने शहनाई बजे और उधर उनका टिकट कट जाये. लकिया सब बहुत दिप्रेशिया गया है.का होगा उनके फिऊचर का. सब अभी ईहे विचार कर रहा है की काश पहले ही प्राइवेट से मायाजाल से निकल जाते तो ई दिन नहीं देखना परता. अब तो लैका लोगो बात दुइए गो है या तो फिर से सरकारी नोकरी से युद्ध में कूदो चाहे ऊ दुतकिये काहे हो नहीं तो फिर हमेसा लाभकारी बिजनेस तरकारी बेचो. ईहे दो में जीवन बचने का चांस है.

Tuesday, March 31, 2009

ॐ नैनो देवी नमो नमः

नमस्ते. आज तो मजा आगया. आज बहुत दिनों के बाद (शायद पहली बार इस संसथान में) मेरे किसी काम को सराहा गया है, हमारे इस सभा की बात कुछ लोगो को अच्छी लगी. तो इसी उत्साह से हम फिर से बकर बकर करना शुरू किए है, ऐसे तो आप जानते ही थे की हम लापता हो गए थे इस चमत्कारिक दुनिया से।गायब होने का मन तो नहीं था पर कुछ ऐसा सिचुएशन हो गया था की हमको जाना पड़ा। चलिए हम फिर आ गए हैं आपका दिमाग चाटने। तो आज का बात किया जाये। नैका कार

नैका कार नैनो के बारे में तो जानिए गए होइएगा. सुनते हैं बहुत जादुई कार है. हम देखे तो नहीं हैं पर जिस तरह से लोग सब पगलाया हुआ है उससे तो लगता है की रतन टाटा ये कोई कार नहीं अलादीन का चिराग लोगो को दे रहे हैं.अरे भाई कारे न है थोरे कोई नायब चीज है . हा सुनते हैं की दाम थोरा कम है सवा लाख में टाटा जी कार पर बैठा रहे हैं. ठीक है अब हमारा मिडिल क्लास स्कूटर पर नहीं चडेगा.सब इहे कार खरीद्लेगा एगो बात आरो टाटा जी कार दिए हैं ऊहै अपना टाटा का बिसनेस के साथ साथ एक ठो और बिजनेस बढा दिए है उ बिजनेस है परम्परागत लैका बेचो व्यापर. यानी दहेज़ टाटा जी के इस कमाल से लैका वाला का दिमाग एक दम बौरा गया है. सब समझ रहा ही की नैनो के आने से अब मोटरसाइकिल से पिंड छुटा. अब हम कार मागेंगे. और लार्की वाला को presraaij karenge larkii वाला सब का idhar दिमाग ख़राब हुआ है की अब का होगा jaha पहले एक esplender में काम chalta था अब waha अब कार dena होगा सबसे ज्यादा मन तो ii dutakiya sarkari नौकरी वाला सब ak बढा हुआ है सब अब sapno करे का gate kholata है apan zindgi में तो e सपना पूरा होगा nai चाहता है की jehi hath sehi साथ .चलिए जो होगा उ तो सब को पता चलिए jayega की नैनो का bhkhayal कितना हो khata है परअभी तो बस नैनो है सब जगह देखिये का होता है आगे

हम तो चाहते है की नैनो जिस तरह से नयन बसी है उसी तरह सबके घर में भी बसे.

Sunday, June 29, 2008

ब्लोग्वार्ता

नमस्ते। भइया कल मेरे ब्लॉग पर एक बहुत ही विद्वान और आदरणीय सज्जन का कमेन्ट आया। उन्हें यह देखकर की हमभी ऐ सब काम करना शुरू कर दिए हैं बहुत आश्चर्य हुआ .उनका कमेन्ट बहुत अच्छा लगा .उन्हिने हमको आगे भी यह काम करने का आशीष दिया.उनका अआशिर्वाद से यह कम .हम आगे भी जरी रखेंगे।
तो भइया आज हम वो बात को बताते हैं जो बहुत दिन से मेरे दिमाग का एक्सरसाइज करा रही थी। हम नयूके डील के बारे में इ सोच रहे थे की इसमे मनमोहन काका ल्कैसे फंस गए। हमको तो लगता है की बुश चाचा की पट्टीदारी मनमोहन काका से अधिक है चाचा कारात के मुकाबले में। हमको तो इ भी लग रहा है की बुश चाचा मनमोहन काका को "राज " करते नही देखना चाहते इसीलिए तो दिल के लिए ढेर पगलाए हुए हैं।
लगता है वो इस बात को नही समझ रहे हैं[या समझ भी रहे हैं] की अगर ये डील हो गया तो कारात चाचा गजब कर देंगे। अरे बुश चाचा इ बात काहें नही समझ रहे हैं की मनु काका का कुर्सी रहेया गा तभी ता कोई डील वील होगा आपसे। तो चाचा जान अभी कुछ दिन मानू काका को बकशिये औए कोंदिला फुआ को भी कही की अभी दहारने का का काम नही करे। अभी तो देखते हैं की मनूकाका इस मंगाई रूपी दानव से युद्ध कर रहे हैं.थोराकम पर जाए
इ राक्क्ष तब जितना डील डील चिल्लाना है दोनों चाचा फुआ चिल्लाइये धमकाइये,फ़िर मंमोहानो काका कारात चाचा से थोरे न डरेंगे उहो तब तक शेर हो जायेंगे.किसी का डर भय नही रहेगा.चुनाव होगा साकार बने गा और फ़िर आपका डील हो जाएगा।
अभी तो कारात चाचा को इ लगता हैकि इस दीलसे बड़ा पाप तो कुछ है ही नही,जो इस डील में साथ देगा उसे तो नरक में भी जगह नही मिलेगा। इसलिए वो अपने परलोक को सुधरने में लगे हुए हैं चाहे इस लोक का बेर गार्क काहें न हो जाए। बिजली न आए उनकी बाला से,हम अंधेरे में रहे उनकी बाला से।
अरेभिया यहाँ अंधेरे में तो किसे भी रह ही लोगे पर यदि ऊपर जर ओस घोर पाप का हिसाब चित्रगुप्त ब्महराज को कैसे दोगे क्याकहोगे उनसे। यही सब सोच के वो हम सब को इस पाप से बचाना चाहते है।
तो चाचा बुश करार पर कुछ दिन और ठहरिये.और जान मेक्कन जी पर थोरा ध्यान दीजिये,आख़िर आपका भी गद्दी रहे गा तब ही न आगे भी कुछ होगा.

Saturday, June 28, 2008

बलोग्वार्ता

नमस्ते,ब्लॉग किस जादुई दुनिया में भिया हम भी आगये। आज कल सभी इस ब्लॉग रूपी संसार में अपना कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं,जिसे देखो वो ब्लॉग राईटर बन गया
दलिद्दर से लेकर समंदर [अर्थात जीने थोरा ज्ञान भी है] सभी इस दुनिया में घूम रहे हैं ।
तो भिया हम भी सोचे की क्यों न हम इस दुनिया में आए और अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन करे.तो यहिसब सोच विचार के हम ब्लॉग लेखन शुरू किए हैं ।