Monday, May 21, 2012
Friday, April 3, 2009
करो नौकरी सरकारी नहीं तो बेचो तरकारी
Tuesday, March 31, 2009
ॐ नैनो देवी नमो नमः
नमस्ते. आज तो मजा आगया. आज बहुत दिनों के बाद (शायद पहली बार इस संसथान में) मेरे किसी काम को सराहा गया है, हमारे इस सभा की बात कुछ लोगो को अच्छी लगी. तो इसी उत्साह से हम फिर से बकर बकर करना शुरू किए है, ऐसे तो आप जानते ही थे की हम लापता हो गए थे इस चमत्कारिक दुनिया से।गायब होने का मन तो नहीं था पर कुछ ऐसा सिचुएशन हो गया था की हमको जाना पड़ा। चलिए हम फिर आ गए हैं आपका दिमाग चाटने। तो आज का बात किया जाये। नैका कार
नैका कार नैनो के बारे में तो जानिए गए होइएगा. सुनते हैं बहुत जादुई कार है. हम देखे तो नहीं हैं पर जिस तरह से लोग सब पगलाया हुआ है उससे तो लगता है की रतन टाटा ये कोई कार नहीं अलादीन का चिराग लोगो को दे रहे हैं.अरे भाई कारे न है थोरे कोई नायब चीज है . हा सुनते हैं की दाम थोरा कम है सवा लाख में टाटा जी कार पर बैठा रहे हैं. ठीक है अब हमारा मिडिल क्लास स्कूटर पर नहीं चडेगा.सब इहे कार खरीद्लेगा एगो बात आरो टाटा जी कार दिए हैं ऊहै अपना टाटा का बिसनेस के साथ साथ एक ठो और बिजनेस बढा दिए है उ बिजनेस है परम्परागत लैका बेचो व्यापर. यानी दहेज़ टाटा जी के इस कमाल से लैका वाला का दिमाग एक दम बौरा गया है. सब समझ रहा ही की नैनो के आने से अब मोटरसाइकिल से पिंड छुटा. अब हम कार मागेंगे. और लार्की वाला को presraaij karenge larkii वाला सब का idhar दिमाग ख़राब हुआ है की अब का होगा jaha पहले एक esplender में काम chalta था अब waha अब कार dena होगा सबसे ज्यादा मन तो ii dutakiya sarkari नौकरी वाला सब ak बढा हुआ है सब अब sapno करे का gate kholata है apan zindgi में तो e सपना पूरा होगा nai चाहता है की jehi hath sehi साथ .चलिए जो होगा उ तो सब को पता चलिए jayega की नैनो का bhkhayal कितना हो khata है परअभी तो बस नैनो है सब जगह देखिये का होता है आगे
हम तो चाहते है की नैनो जिस तरह से नयन बसी है उसी तरह सबके घर में भी बसे.
Sunday, June 29, 2008
ब्लोग्वार्ता
तो भइया आज हम वो बात को बताते हैं जो बहुत दिन से मेरे दिमाग का एक्सरसाइज करा रही थी। हम नयूके डील के बारे में इ सोच रहे थे की इसमे मनमोहन काका ल्कैसे फंस गए। हमको तो लगता है की बुश चाचा की पट्टीदारी मनमोहन काका से अधिक है चाचा कारात के मुकाबले में। हमको तो इ भी लग रहा है की बुश चाचा मनमोहन काका को "राज " करते नही देखना चाहते इसीलिए तो दिल के लिए ढेर पगलाए हुए हैं।
लगता है वो इस बात को नही समझ रहे हैं[या समझ भी रहे हैं] की अगर ये डील हो गया तो कारात चाचा गजब कर देंगे। अरे बुश चाचा इ बात काहें नही समझ रहे हैं की मनु काका का कुर्सी रहेया गा तभी ता कोई डील वील होगा आपसे। तो चाचा जान अभी कुछ दिन मानू काका को बकशिये औए कोंदिला फुआ को भी कही की अभी दहारने का का काम नही करे। अभी तो देखते हैं की मनूकाका इस मंगाई रूपी दानव से युद्ध कर रहे हैं.थोराकम पर जाए
इ राक्क्ष तब जितना डील डील चिल्लाना है दोनों चाचा फुआ चिल्लाइये धमकाइये,फ़िर मंमोहानो काका कारात चाचा से थोरे न डरेंगे उहो तब तक शेर हो जायेंगे.किसी का डर भय नही रहेगा.चुनाव होगा साकार बने गा और फ़िर आपका डील हो जाएगा।
अभी तो कारात चाचा को इ लगता हैकि इस दीलसे बड़ा पाप तो कुछ है ही नही,जो इस डील में साथ देगा उसे तो नरक में भी जगह नही मिलेगा। इसलिए वो अपने परलोक को सुधरने में लगे हुए हैं चाहे इस लोक का बेर गार्क काहें न हो जाए। बिजली न आए उनकी बाला से,हम अंधेरे में रहे उनकी बाला से।
अरेभिया यहाँ अंधेरे में तो किसे भी रह ही लोगे पर यदि ऊपर जर ओस घोर पाप का हिसाब चित्रगुप्त ब्महराज को कैसे दोगे क्याकहोगे उनसे। यही सब सोच के वो हम सब को इस पाप से बचाना चाहते है।
तो चाचा बुश करार पर कुछ दिन और ठहरिये.और जान मेक्कन जी पर थोरा ध्यान दीजिये,आख़िर आपका भी गद्दी रहे गा तब ही न आगे भी कुछ होगा.
Saturday, June 28, 2008
बलोग्वार्ता
दलिद्दर से लेकर समंदर [अर्थात जीने थोरा ज्ञान भी है] सभी इस दुनिया में घूम रहे हैं ।
तो भिया हम भी सोचे की क्यों न हम इस दुनिया में आए और अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन करे.तो यहिसब सोच विचार के हम ब्लॉग लेखन शुरू किए हैं ।