Friday, April 3, 2009

करो नौकरी सरकारी नहीं तो बेचो तरकारी

नमस्ते। तो भइया आज एगो नया आम बात हमारे दिमाग में आया है जिसको हम यहाँ कहने जा रहे हैं। बार दरअसल ई है की आज मंदी रूपी बकासुर सबको लीलने पर तुला हुआ है। अभी ऐसा कोई भीमसेन नही दिखा है जो इसको मार सके। तो बात ई है की आज इस महा मंदी में वही पुराना कहावत सही हो रहा है की करो नौकरी सरकारी नही तो बेचो तरकारी। क्योकि इस मंदी के सेसन में यही दुगो काम लाभकारी है. प्राइवेट वाला पाहिले जितना उरता हो, जितना शान बघारता हो पर आज सब मरल बिलाई हो गया है. सब का दिन दुर्दिन में बदला हुआ है. आज चांदी है तो दुइए लोग का ऊ सरकारी रोटी तोड़ रहे हैं भले ही दुटाकीया ही नौकरी ही सही पर आराम से हैं. कोनो चिंता फिकिर नहीं न मंदी का और न मंदी के नाम पर बकरा बनाने का. बहुत चैन है भैया उनको.एगो और बिरादरी है जो चैन की बंशी बजा रहा है ऊ है तरकारी यानी सब्जी बेचने वाला ग्रुप. कोई तेंसें नहीं दिन दुनी रात चौगनी तरक्की. भले ही सारी दुनिया में मंदी का महामारी हो पर इनके यहाँ तो प्रोफिट ही प्रोफिट है मंदी होगी दोसरे के लिए इनका तो चांदी है अभी. महगाई का सर्वाधिक लाभांश यही ले रहे है.प्राइवेट वालो का हालत तो भैया बहुत खराब है एकदम सड़ा हुआ स्थिति में वो पहुच गए है सबसे दयनिए हाल तो ऊना का है जिनका शादी नहीं हुआ है. उनका तो हाल ऐसा है की न आगे नाथ न पीछे पगहा. जो भी अगुआ (रिश्ता) आ रहा था उनके पैकज से हवा पर ऊहो अब आना बंद हो गया है. जो आइयो रहा है ऊ पहले ई जान ले रहा है की कंडीसन क्या है. कितना दिन से मेहमान है साहबजादे कही ऐसा न हो की एने शहनाई बजे और उधर उनका टिकट कट जाये. लकिया सब बहुत दिप्रेशिया गया है.का होगा उनके फिऊचर का. सब अभी ईहे विचार कर रहा है की काश पहले ही प्राइवेट से मायाजाल से निकल जाते तो ई दिन नहीं देखना परता. अब तो लैका लोगो बात दुइए गो है या तो फिर से सरकारी नोकरी से युद्ध में कूदो चाहे ऊ दुतकिये काहे हो नहीं तो फिर हमेसा लाभकारी बिजनेस तरकारी बेचो. ईहे दो में जीवन बचने का चांस है.

Tuesday, March 31, 2009

ॐ नैनो देवी नमो नमः

नमस्ते. आज तो मजा आगया. आज बहुत दिनों के बाद (शायद पहली बार इस संसथान में) मेरे किसी काम को सराहा गया है, हमारे इस सभा की बात कुछ लोगो को अच्छी लगी. तो इसी उत्साह से हम फिर से बकर बकर करना शुरू किए है, ऐसे तो आप जानते ही थे की हम लापता हो गए थे इस चमत्कारिक दुनिया से।गायब होने का मन तो नहीं था पर कुछ ऐसा सिचुएशन हो गया था की हमको जाना पड़ा। चलिए हम फिर आ गए हैं आपका दिमाग चाटने। तो आज का बात किया जाये। नैका कार

नैका कार नैनो के बारे में तो जानिए गए होइएगा. सुनते हैं बहुत जादुई कार है. हम देखे तो नहीं हैं पर जिस तरह से लोग सब पगलाया हुआ है उससे तो लगता है की रतन टाटा ये कोई कार नहीं अलादीन का चिराग लोगो को दे रहे हैं.अरे भाई कारे न है थोरे कोई नायब चीज है . हा सुनते हैं की दाम थोरा कम है सवा लाख में टाटा जी कार पर बैठा रहे हैं. ठीक है अब हमारा मिडिल क्लास स्कूटर पर नहीं चडेगा.सब इहे कार खरीद्लेगा एगो बात आरो टाटा जी कार दिए हैं ऊहै अपना टाटा का बिसनेस के साथ साथ एक ठो और बिजनेस बढा दिए है उ बिजनेस है परम्परागत लैका बेचो व्यापर. यानी दहेज़ टाटा जी के इस कमाल से लैका वाला का दिमाग एक दम बौरा गया है. सब समझ रहा ही की नैनो के आने से अब मोटरसाइकिल से पिंड छुटा. अब हम कार मागेंगे. और लार्की वाला को presraaij karenge larkii वाला सब का idhar दिमाग ख़राब हुआ है की अब का होगा jaha पहले एक esplender में काम chalta था अब waha अब कार dena होगा सबसे ज्यादा मन तो ii dutakiya sarkari नौकरी वाला सब ak बढा हुआ है सब अब sapno करे का gate kholata है apan zindgi में तो e सपना पूरा होगा nai चाहता है की jehi hath sehi साथ .चलिए जो होगा उ तो सब को पता चलिए jayega की नैनो का bhkhayal कितना हो khata है परअभी तो बस नैनो है सब जगह देखिये का होता है आगे

हम तो चाहते है की नैनो जिस तरह से नयन बसी है उसी तरह सबके घर में भी बसे.