Sunday, June 29, 2008

ब्लोग्वार्ता

नमस्ते। भइया कल मेरे ब्लॉग पर एक बहुत ही विद्वान और आदरणीय सज्जन का कमेन्ट आया। उन्हें यह देखकर की हमभी ऐ सब काम करना शुरू कर दिए हैं बहुत आश्चर्य हुआ .उनका कमेन्ट बहुत अच्छा लगा .उन्हिने हमको आगे भी यह काम करने का आशीष दिया.उनका अआशिर्वाद से यह कम .हम आगे भी जरी रखेंगे।
तो भइया आज हम वो बात को बताते हैं जो बहुत दिन से मेरे दिमाग का एक्सरसाइज करा रही थी। हम नयूके डील के बारे में इ सोच रहे थे की इसमे मनमोहन काका ल्कैसे फंस गए। हमको तो लगता है की बुश चाचा की पट्टीदारी मनमोहन काका से अधिक है चाचा कारात के मुकाबले में। हमको तो इ भी लग रहा है की बुश चाचा मनमोहन काका को "राज " करते नही देखना चाहते इसीलिए तो दिल के लिए ढेर पगलाए हुए हैं।
लगता है वो इस बात को नही समझ रहे हैं[या समझ भी रहे हैं] की अगर ये डील हो गया तो कारात चाचा गजब कर देंगे। अरे बुश चाचा इ बात काहें नही समझ रहे हैं की मनु काका का कुर्सी रहेया गा तभी ता कोई डील वील होगा आपसे। तो चाचा जान अभी कुछ दिन मानू काका को बकशिये औए कोंदिला फुआ को भी कही की अभी दहारने का का काम नही करे। अभी तो देखते हैं की मनूकाका इस मंगाई रूपी दानव से युद्ध कर रहे हैं.थोराकम पर जाए
इ राक्क्ष तब जितना डील डील चिल्लाना है दोनों चाचा फुआ चिल्लाइये धमकाइये,फ़िर मंमोहानो काका कारात चाचा से थोरे न डरेंगे उहो तब तक शेर हो जायेंगे.किसी का डर भय नही रहेगा.चुनाव होगा साकार बने गा और फ़िर आपका डील हो जाएगा।
अभी तो कारात चाचा को इ लगता हैकि इस दीलसे बड़ा पाप तो कुछ है ही नही,जो इस डील में साथ देगा उसे तो नरक में भी जगह नही मिलेगा। इसलिए वो अपने परलोक को सुधरने में लगे हुए हैं चाहे इस लोक का बेर गार्क काहें न हो जाए। बिजली न आए उनकी बाला से,हम अंधेरे में रहे उनकी बाला से।
अरेभिया यहाँ अंधेरे में तो किसे भी रह ही लोगे पर यदि ऊपर जर ओस घोर पाप का हिसाब चित्रगुप्त ब्महराज को कैसे दोगे क्याकहोगे उनसे। यही सब सोच के वो हम सब को इस पाप से बचाना चाहते है।
तो चाचा बुश करार पर कुछ दिन और ठहरिये.और जान मेक्कन जी पर थोरा ध्यान दीजिये,आख़िर आपका भी गद्दी रहे गा तब ही न आगे भी कुछ होगा.

Saturday, June 28, 2008

बलोग्वार्ता

नमस्ते,ब्लॉग किस जादुई दुनिया में भिया हम भी आगये। आज कल सभी इस ब्लॉग रूपी संसार में अपना कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं,जिसे देखो वो ब्लॉग राईटर बन गया
दलिद्दर से लेकर समंदर [अर्थात जीने थोरा ज्ञान भी है] सभी इस दुनिया में घूम रहे हैं ।
तो भिया हम भी सोचे की क्यों न हम इस दुनिया में आए और अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन करे.तो यहिसब सोच विचार के हम ब्लॉग लेखन शुरू किए हैं ।